"हिंदी शिक्षण में दृश्य - श्रव्य साधनों का महत्व"
बीसवीं शताब्दी वैज्ञानिक नव-निर्माण का युग है। इस बदलते हुए युग में शिक्षण का स्थान बडा महत्वपूर्ण है। शिक्षण के बिना यह उचित परिवर्तन नहीं हो सकता। शिक्षण एक बहुमुखी प्रक्रिया है। शिक्षा प्रणाली को रोचक, आकर्षक, प्रभावशाली बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के साधनों का प्रयोग किया जाता है। शिक्षक के विशिष्ट एवं व्यापक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए बहुत से शिक्षण साधनों का अध्ययन- अध्यापन प्रणाली में उपयोग किया जाता है। आजकल शिक्षण प्रक्रिया में दृश्य - श्रव्य साधनों के प्रयोग पर ज़्यादा बल दिया जा रहा है। एैसे साधनों से शिक्षण को अधिक प्रभावशाली एवं सरस बनाया जाता है।
हिंदी शिक्षक सामग्रियों को दो वर्गों में विभाजित किया गया है।
इन्द्रियों पर आधारित सहायक सामग्री चार प्रकार की होती है :-
1. श्रव्य सामग्री
2. दृश्य सामग्री
श्रव्य सामग्री के अन्तर्गत रेडियो, टेप रिकॉर्डर, ग्रामोफोन, रेकॉर्ड प्लेयर आदि आते हैं। केवल सुना ही जा सकता है।
दृश्य सामग्री के अन्तर्गत चित्र, चार्ट, ग्राफ, मानचित्र, फ्लैश कार्ड, रेखा चित्र, स्थिर चित्र आदि आते हैं, केवल देखा जा सकता है।
दृश्य - श्रव्य सामग्री के अन्तर्गत टेलीविजन, कठपुतली आते कंप्यूटर आते हैं।
क्रियात्मक साधन के अन्तर्गत रोलप्ले, मेल, प्रयोगशाला आदि आते हैं।
दृश्य- श्रव्य सामग्री का प्रयोग छात्र और विषय सामग्री के मध्य अन्त: क्रिया को तीव्रतम गति पर लाकर छात्रों को शिक्षोन्मुखी तथा जिज्ञासु बनाती है। शिक्षण में प्रयुक्त होनेवाली दृश्य- श्रव्य सामग्री को निम्न लिखित विभागों में विभाजित किया जा सकता है।
1. परंपरागत सहायक सामग्री
2. दृश्य सहायक सामग्री
3. यांत्रिक सहायक सामग्री
1. परंपरागत सहायक सामग्री
• श्यामा
• पुस्तक तथा पत्र - पत्रिकाएं
2. दृश्य सहायक सामग्री
•चित्र
• मानचित्र
• रेखाचित्र
• चार्ट
• फ्लैश कार्ड
• प्रतिमान
• बुलेटिन बोर्ड
3. यांत्रिक सहायक सामग्री
• रेडियो
• टेप रिकॉर्डर
• रेकॉर्ड प्लेयर
• स्लाइड्स (स्थिर चित्र)
• चलचित्र
हिंदी भाषा शिक्षक की ज़िम्मेदारी के बारे में चर्चा करते वक्त इस तरफ भी ध्यान दिया गया है।फिर हम यहाँ विस्तार से उसका विवरण दे रहे हैं। हम जानने है कि अध्यापन एक कला है और वह एक महत्वपूर्ण किया है। उन उद्देश्यों की पूर्ति में पाठ्यक्रम तथा पाठ्य पूरक कार्यक्रमों का सहभाग विशेष तौर पर उपयोगी सिद्ध हो जाता है।
हिंदी शिक्षक सामग्रियों को दो वर्गों में विभाजित किया गया है।
- इन्द्रियों पर आधारित
इन्द्रियों पर आधारित सहायक सामग्री चार प्रकार की होती है :-
1. श्रव्य सामग्री
2. दृश्य सामग्री
3.श्रव्य- दृश्य सामग्री
4. क्रियात्मक साधन
श्रव्य सामग्री के अन्तर्गत रेडियो, टेप रिकॉर्डर, ग्रामोफोन, रेकॉर्ड प्लेयर आदि आते हैं। केवल सुना ही जा सकता है।
दृश्य सामग्री के अन्तर्गत चित्र, चार्ट, ग्राफ, मानचित्र, फ्लैश कार्ड, रेखा चित्र, स्थिर चित्र आदि आते हैं, केवल देखा जा सकता है।
दृश्य - श्रव्य सामग्री के अन्तर्गत टेलीविजन, कठपुतली आते कंप्यूटर आते हैं।
क्रियात्मक साधन के अन्तर्गत रोलप्ले, मेल, प्रयोगशाला आदि आते हैं।
दृश्य - श्रव्य सामग्री
1. परंपरागत सहायक सामग्री
2. दृश्य सहायक सामग्री
3. यांत्रिक सहायक सामग्री
1. परंपरागत सहायक सामग्री
• श्यामा
• पुस्तक तथा पत्र - पत्रिकाएं
2. दृश्य सहायक सामग्री
•चित्र
• मानचित्र
• रेखाचित्र
• चार्ट
• फ्लैश कार्ड
• प्रतिमान
• बुलेटिन बोर्ड
3. यांत्रिक सहायक सामग्री
• रेडियो
• टेप रिकॉर्डर
• रेकॉर्ड प्लेयर
• स्लाइड्स (स्थिर चित्र)
• चलचित्र
हिंदी भाषा शिक्षक की ज़िम्मेदारी के बारे में चर्चा करते वक्त इस तरफ भी ध्यान दिया गया है।फिर हम यहाँ विस्तार से उसका विवरण दे रहे हैं। हम जानने है कि अध्यापन एक कला है और वह एक महत्वपूर्ण किया है। उन उद्देश्यों की पूर्ति में पाठ्यक्रम तथा पाठ्य पूरक कार्यक्रमों का सहभाग विशेष तौर पर उपयोगी सिद्ध हो जाता है।
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